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कलेक्टर द्वारा सड़क निरीक्षण, कई सवाल उठे, पीडब्ल्यूडी विभाग में घबराहट…….


बिलासपुर वासियों की सहनशीलता की कोई मिसाल पूरे देश में देखने को नहीं मिलेगी। विगत दस वर्षों से शहर की जनता सड़क के लिए तरस रही है। कहांॅ से जायें, चारों ओर खुदाई होने से आम आदमी का आना-जाना मुश्किल भरा है, किन्तु जनता जनार्दन ने कभी भी अपने विधायक अमर अग्रवाल के खिलाफ कोई विरोध दर्ज नहीं कराया। हांॅ कांग्रेस एवं क्षेत्रीय पार्टियों के बेनर तले मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जरूर होते रहे, किन्तु इन सबसे अलग अमर अग्रवाल शहर बिलासपुर को स्मार्ट सिटी बनाने राष्ट्रीय शर्त अनुसार सिवरेज परियोजना लाये, किन्तु उनके स्मार्ट सिटी के सपने को उनके मुॅह लगे पदाधिकारी और रसूखदार अधिकारी खाऊ-खाऊ करने में आज भी तुले हैं। मंत्री अमर अग्रवाल को अंधेरे में रखकर शहर विकास में बाधा पहुंॅचाने, अपने जेब भरने तथा गुटीय राजनीति को बढ़ावा देकर यहांॅ के सत्तासीन पदाधिकारियों अधिकारियों ने बिलासपुर जैसे सुंदर शहर को आज नर्क बनाने कोई कसर बाकी नहीं रखी। अपने स्वार्थ की राजनीति में लगे रहे और शहर को बर्बाद होता देखते रहे। जनता के आम बुनियादी सुविधाओं से इन्हें कोई लेना-देना नहीं रह गया।

 वर्षों के इंतजार के बाद मंत्री अमर अग्रवाल के निर्देश पर शहर में सड़कों को चकाचक करने का कार्य चला ही था कि यहांॅ भी भ्रष्टाचार ने अपने पाॅव पसारने शुरू कर दिये और इस सड़क कार्य की गुणवत्ता को समझने स्वयं कलेक्टर पी. दयानंद को मैदान में उतरने विवश कर दिया और वे तारबाहर से गांधी चैक के सड़क निर्माण को देखने पहुंॅचे। नापा-जांॅचा और फिर नाराजगी प्रकट कर सड़क की गुणवत्ता पर कई सवाल पी.डब्ल्यू.डी. के अधिकारियों से किया।

जिले के नगरीय निकाय निर्माण कार्यो में यह पहला मौका था जब किसी कलेक्टर ने स्वयं सड़क की स्केलिंग की हो। इससे कई सवाल गलियारे में गूंज रहे हैं।

क्या  मंत्री अमर अग्रवाल के निर्देश पर यह औचक निरीक्षण किया गया था ?या फिर  जन शिकायत को आधार मानकर की गयी कार्यवाही।

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