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मुआवजे में मिली दहशत ,जिम्मेदार कौन?….

 बिलासपुर /   आज तक मुआवजे से राहत मिलने की बात आपने सुनी और देखी होगी लेकिन हम आपको बतलाने जा रहे है एक ऐसे विधानसभा क्षेत्र के पीड़ित  ग्रामीणों  सच्चाई, जहां ना तो कांग्रेस  विधायक की शिकायत पर प्रशासनिक कार्यवाही होती है ना ग्रामीणों  की पीड़ा  सुनने ही कोई अधिकारी आता है वहां तो बस रसूखदारों की तुती बोलती है। जहां ग्रामीण  मुआवजे में मिली जमीन पर घर बना बगैर बिजली,पानी,सडक और खदान में हो रहे विस्फोट से छिटके पत्थरों के बीच पल -पल दहशत के साये में दिन और रात जीने को मजबूर हैं । समस्त ग्राम वासियों की मांग है कि खदानों को बंद करने शासन कोई ठोस पहल उठाए।
                         

जी हां हम बात कर रहे हैं  बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में स्थापित ग्राम  पंचायत हिर्री की। जहां आज से कुछ साल पहले बिलासपुर रायपुर मार्ग के चौड़ीकरण की प्रक्रिया आरंभ हुई थी जिसके चलते सड़क  किनारे निवासरत चालीस परिवारों को उनकी जमीन और मलबे का मुआवजा देकर जिला प्रशासन की पहल पर ग्राम  पंचायत से प्रस्तावित आवेदन के आधार पर सड़क  की दूसरी ओर सरकारी जमीन पर मकान बनाने की मौखिक आदेश दिया गया था। ग्रामीणों नें जीवनभर की जमा पूंजी और मुआवजे की रकम से मकान तो बनाया लेकिन उसके बाद से आज तक अपने ही बनाऐ घरों में पल -पल दहशत में जीने को मजबूर है।
             

हिर्री थाने के ठीक पीछे तीन गिट्टी  की खदानें संचालित है इन्हीं खदानों से लगी सरकारी भूमि पर इन चालीस परिवारों को जिला प्रशासन नें जमीन देकर बसनें को आदेशित किया था ग्रामीणों  का आरोप है कि तब उन्हे बतलाया गया था कि तीनों खदाने बंद कर दी गई है किन्तु आज ग्रामीणों की माने तो खदानों की लीज शासन नें बढ़ाकर हमारे साथ छल किया है। ग्रामीणों  की माने तो नरेश अग्रवाल और व्दारिका गुप्ता दवारा संचालित तीनों खदानों में बड़े -बड़े  चटटनों  को तोड़ने बारुद का इस्तेमाल किया जाता है जिसके धमाकों से ना केवल हमारे घर हिलते हैं  बल्कि हमारे घरों तक बड़े -बड़े पत्थर छिटकर आते हैं  जिससे हमारे परिवार को जान का खतरा हमेंशा बना रहता है। इतना ही नहीं बड़े  चार पहिया वाहनों के द्वारा  मटेरियल के परिवहन से धूल  का गुबार हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है वहीं आस पास का वातावरण भी प्रदुषित हो रहा है। हम और हमारा परिवार पल पल दहशत के साये में जीवन जीने को मजबूर है। उनकी मांग है कि शासन इन खदानों को तत्काल बंद करे ताकि हम और हमारा परिवार भयमुक्त वातावरण में जीवन जी सकें।
            
कांग्रेस विधायक सियाराम कौशिक के विधायक प्रतिनिधि प्रह्लाद कश्यप नें बतलाया कि शासन प्रशासन को इन खदानों से होने वाले संभावित खतरों से अनेकों बार पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है किन्तु आज तक कोई कार्यवाही तो दूर आज तक कोई अधिकारी यहां झाकनें तक नहीं आया। उन्होनें शासन और प्रशासन पर गंभ्भीर आरोप लगाते हुए बतलाया कि यहां स्थापित खदानों से निकले वेस्ट प्रोडक्ट से किसानों की  सैकड़ों एक खेती प्रभावित हो रही है जल स्तर में गिरावट आई है लीज से ज्यादा क्षेत्रों में संचालित की जा रहीं है खदानें शासन नें बिना जांच किये लोगों के हितों  को नजर अंदाज करते हुए खदानों की लीज को बढ़ा  दिया है। स्थापित खदानों के चलते मवेशियों के चारागाह समाप्त हो गये है ना पीने का पानी बचा है ना ही चारागाह। विधायक प्रतिनिधि की माने तो खदानों में पत्थरों को तोड़ने  किये गये बारुदी विस्फोट से उड़कर पत्थर ग्रामीणों के घरों के सामने ,थाने के परिसर में आकर गिरता है थाने के बगल में धान  संग्रहण केन्द्र है जहां प्रतिदिन दर्जनों किसान अपनी फसल लेकर आते हैं उन्हें   भी इस खदानों में विस्फोट से उड़ने  वाले पत्थरों से खतरा बना रहता है इसके बाद भी जनहित के इतने संवेदशील मुददे पर खनिज,पर्यावरण, जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों का घ्यान ना देना खुद  को सवालों के कटधरे में ला खड़ा  करता है। उन्होंने  कहा कि जहां प्रशासन दवारा पंचायती राज अधिनियम व शर्तों  का पालन ही नहीं किया जा रहा है वहीं रसूखदारों के आगे नतमस्तक  हैं संबंधित अधिकारी। ऐसे में जनता के सरोकार से जुडे मुददे पर सरकार का उदासीन रवैया और नारा सबका साथ सबका विकास खोखला  साबित हो रहा है।
       

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक का कभी विधाससभा क्षेत्र रहा बिल्हा, इस क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह गिटटी के खदान और क्रेशर आज भी नियमकायदों को दरकिनार कर वातावरण को प्रदुषित व मानवजीवन के स्वास्थ्य से खिलवाड़  करते बेखौफ संचालित हो रहे हैं  और हिर्री पंचायत के सामने स्थापित हिर्री थाने के ठीक पीछे संचालित गिटटी खदान से लगी सरकारी भूमि इन गरीब परिवारों को मकान बनाने आबंटित किया गया था जिस पर उन्होंने  अपना -अपना मकान बना जीवनव्यापन आरंभ किया था। किन्तु आज ग्रामीण खुद को ठगा महसुस कर रहे हैं । ऐसे में भाजपा शासित प्रदेश के अध्यक्ष घरमलाल कौशिक का उनके के ही क्षेत्र में संचालित खदानों से ग्रामीणों के प्रभावित होने पर उनका मौन रहना भाजपा और कांग्रेस के बीच मतदाताओं से भेदभाव सा परिलक्षित होता है।
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वातावरण में प्रदुषण का जहरीला स्तर जिस तरह से मानव जीवन को प्रभावित करते बढ़ता  जा रहा है उसे लेकर पूरे विश्व में बहस छिड़  गई है लेकिन छत्तीसगढ के बिलासपुर संभाग में बढ़ते  पर्यावरण प्रदुषण, व बिगड़ते  मानव स्वास्थ्य के ग्राफ  पर रोक लगाने को लेकर राज्य स्तर विशेषज्ञ मुल्याकंन समिति,पर्यावरण व खनिज विभाग और इसके अधिकारी कितने संजीदा है इसे इन तस्वीरों के माध्यम से आसानी से समझा जा सकता है। इन तस्वीरों से साफ है कि संभाग के संबंधित विभाग व विभागीय अधिकारी खदान स्वीकृति के लिये बनाये गये मापदंडों को किस तरह नजर अंदाज कर चंद राजनैतिक रसूखदार सफेदपोश माफियाओं के धनबल के आगे नतमस्तक होकर मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण को प्रदुषित होने से रोक लगाने की बजाय उसे बढ़ावा  देने का जोखिम उठा रहे हैं ।
                 

बहरहाल देखना होगा न्यायधानी में न्याय की गुहार लगाते इन ग्रामीणों को न्याय मिल पाता भी है कि नहीं या ये ग्रामीणों की गुहार चांदी की चमक और रसूखदार माफियाओं के आगे दब कर रह जाती है।

 
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