नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में सोमवार को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और उनके खिलाफ आवाज मुखर करने वाले चारों न्यायाधीशों के न्यायालय में न्यायिक कामकाज सामान्य ढंग से हुआ। न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की 12 जनवरी की अप्रत्याशित प्रेस काफ्रेंस के बाद आज शीर्ष अदालत में कामकाज का पहला दिन था।
प्रधान न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों ने अपने अपने न्यायालय कक्षों में खंडपीठों की अध्यक्षता की है हालांकि शीर्ष अदालत के गलियारों में यह अटलकें जोरों पर थीं कि अब देखना यह है कि प्रधान न्यायाधीश और चारों न्यायाधीश इस संकट का समाधान कैसे करते हैं। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपवीठ के न्यायालय कक्ष में बड़ी संख्या में वकील, वादी-प्रतिवादी और पत्रकार न्यायालय की कार्यवाही देखने के लिये मौजूद थे जो वकील आर पी लूथरा द्वारा एक मामले का उल्लेख करने के साथ शुरू हुयी थी। लूथरा चाहते से प्रेस काफ्रेंस करने वाले न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई की जाये।
न्यायालय संख्या दो में न्यायमूॢत जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने शांतिपूवर्क काम किया और करीब 60 मामलों को देखा। इसी तरह न्यायमूॢत गोगोई, न्यायमूॢत लोकूर और न्यायमूॢत कुरियन ने भी क्रमश: न्यायालय संख्या तीन, चार और पांच में खंडपीठों की अध्यक्षता की। इनके समक्ष क्रमश: 49, 41 और 53 मामले सूचीबद्ध थे।
अटार्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायाधीशों के बीच सारा विवाद सुलझ गया है और वे सामान्य न्यायिक कामकाज मे व्यस्त हैं।